आज मुलाकात हुई कुछ बिसरी बात हुई
फ़िर नए कल की तलाश हुई
और चल पड़ी में..........
ख़ुद को पहचानने के लिए
जिंदगी की इस दो राह को जानने के लिए
न जाने क्यों ये डगर है अजीब सी
शायद महसूस हुई मुझे अपनों की कमी सी
फ़िर भी चल पड़ी में...............
मंजिल तक पहुचने के लिए
पाया जो है जिंदगी से मैंने
खोया भी बहुत है
टूटा हुआ मेरा ह्रदय रोया भी बहुत है
इक अलग सी आशा थी मुझमे
कुछ कर दिखने की चाह थी मुझे
बस उसी राह की खोज में
अब
चल पड़ी में........
